आज फेसबुक खोले
ऑफिस में बैठा हुआ था, तभी एक फोटो मेरे एक फेसबुकिए मित्र
द्वारा शेयर किया हुआ एक फोटो दिखा, जो रक्सौल की एक लड़की पुष्पम पल्लवी
का है। जब फोटो के नीचे लिखा संवाद पढ़ा तो मामला समझ में आया। इस मामले को पढ़ते हुए
मुझे अपना समय भी याद आ गया, जब मुझे भी कुछ कारणों से पासपोर्ट
बनवाना पड़ा था और जब घर पर पुलिस निरीक्षण के लिए आई थी तो उन्होंने मेरे पिता जी से
रुपये (घूस) का मांग किया था। उस समय मैं अपनी अभियांत्रिकी की पढ़ाई पूरी कर रहा था
और उस समय मेरे सारे सहपाठियों द्वारा भी पासपोर्ट बनवाया गया था जिसमें सबने कुछ न
कुछ घूस दिया था और कुछ दोस्तों ने तो चूँकि पासपोर्ट महाराष्ट्र से बनवाया था तो उन्हें
दो-दो बार घूस देनी पड़ गयी थी, एक तो महाराष्ट्र में और एक बार अपने
घर पर। और यह एक सामान्य सी प्रक्रिया ही बन गयी थी,
जिससे मेरे पिताजी को भी घूस की राशि देनी पड़ी। शायद विरोध करते तो मेरा भी फाइल कुछ
इसी तरह का बना दिया जाता और मैं उच्च शिक्षा प्राप्त न कर पाता। और यह घटना कहीं और
की नहीं बल्कि रक्सौल की ही है।
कहने को तो
सरकार ने बहुत तरह की व्यवस्था बना दी है कि कोई घूस न लेने पाये, मगर यह न बनाया कि कोई घूस दिये बिना कार्य कैसे
करवाए, और मजबूरी में कोई करे तो क्या करें, कौन अपने सर पर बदनामी लेने जाए एक झूठ मूठ के केस
का।कहने को तो
बहुत कहेंगे कि बिहार के पुलिस वाले घूस खाते है,
मगर यह कड़वा सच हरेक जगह लागू होता चाहे वो बिहार हो या महाराष्ट्र। मगर सरकार के नाक
के नीचे हो रही इस जालसाजी को कोई न देखने वाला,
जबकि खुद हमारे जन सेवक भी इन बातों को अच्छे तरीके से जानते है।
कहने को तो आज भले
ही बिहार की यह पुलिस कह रही की मानवीय भूल है,
मगर ये मानवीय भूल हो कैसे गयी वो भी पासपोर्ट जैसे अंतराष्ट्रीय महत्व के कागजात जारी
करने में, और यह किसी भी दृष्टि से मानवीय भूल
तो लगता नहीं है, क्यूँकि हरेक साल न जाने कितने पासपोर्ट
इस थाने में आते होंगे, और न जाने उन पासपोर्ट से कितने ही
अधिकारियों का पॉकेट गरम होता होगा जिससे सारे पासपोर्ट बिना कोई खास परेशानी के जारी
हो जाते होंगे। शायद पल्लवी पुष्पम और उसके पिता जी ने यह भूल कर दी कि उन्होंने पुलिस
को कोई घूस न दी। सरकार भी तो
हमारी ऐसी ही है, जो इसे पुलिस द्वारा मानवीय भूल मानते
ही उस मामले को रफा-दफा करने में लग जाएगी। मगर शायद पल्लवी पुष्पम के लिए प्रति मानहानी
का भी जिम्मेदार है, क्यूँकि कहीं न कहीं उसे कई परेशानियों
का शिकार होना पड़ेगा जिसमें मानसिक परेशानी भी शामिल होगा। हो सकता है पल्लवी को अपने
कार्यक्षेत्र में उन्नति का भी अवसर होगा या फिर कंपनी के किसी आवश्यक कार्य के कारण
बाहर जाना होगा, मगर इन सरकारी बाबू को इससे क्या, पासपोर्ट का नाम सामने आते ही उनकी आँखों के आगे
हरे-हरे नोट जो दिख जाते होंगे।
शायद इस मानहानि का जिम्मेदार सिर्फ एक पुलिस अधिकारी
नहीं बल्कि पूरे देश में हो रहे, पासपोर्ट से संबन्धित कार्य में घूस
खा रही हमारी भारतीय पुलिस भी शामिल है।देखते है, एस॰पी॰
साहब ने तो जांच की बात कह दी, मगर यह जांच कब पूरी होगी पता नहीं, शायद इस
जांच के बहाने पल्लवी को बार-बार घर बुलाने के लिए परेशान भी किया जाए, आखिर ऐसा
होना भी संभव ही लगता है, क्यूँकि ऐसा बार-बार होने पर पल्लवी की भी मजबूरी हो
जाएगी या तो वो अपनी नौकरी छोड़ दे या फिर अपनी शिकायत वापस ले ले। और तब जा कर यह जांच
पूरी हो पाएँ।
ऑफिस में बैठा हुआ था, तभी एक फोटो मेरे एक फेसबुकिए मित्र
द्वारा शेयर किया हुआ एक फोटो दिखा, जो रक्सौल की एक लड़की पुष्पम पल्लवी
का है। जब फोटो के नीचे लिखा संवाद पढ़ा तो मामला समझ में आया। इस मामले को पढ़ते हुए
मुझे अपना समय भी याद आ गया, जब मुझे भी कुछ कारणों से पासपोर्ट
बनवाना पड़ा था और जब घर पर पुलिस निरीक्षण के लिए आई थी तो उन्होंने मेरे पिता जी से
रुपये (घूस) का मांग किया था। उस समय मैं अपनी अभियांत्रिकी की पढ़ाई पूरी कर रहा था
और उस समय मेरे सारे सहपाठियों द्वारा भी पासपोर्ट बनवाया गया था जिसमें सबने कुछ न
कुछ घूस दिया था और कुछ दोस्तों ने तो चूँकि पासपोर्ट महाराष्ट्र से बनवाया था तो उन्हें
दो-दो बार घूस देनी पड़ गयी थी, एक तो महाराष्ट्र में और एक बार अपने
घर पर। और यह एक सामान्य सी प्रक्रिया ही बन गयी थी,
जिससे मेरे पिताजी को भी घूस की राशि देनी पड़ी। शायद विरोध करते तो मेरा भी फाइल कुछ
इसी तरह का बना दिया जाता और मैं उच्च शिक्षा प्राप्त न कर पाता। और यह घटना कहीं और
की नहीं बल्कि रक्सौल की ही है।
कहने को तो
सरकार ने बहुत तरह की व्यवस्था बना दी है कि कोई घूस न लेने पाये, मगर यह न बनाया कि कोई घूस दिये बिना कार्य कैसे
करवाए, और मजबूरी में कोई करे तो क्या करें, कौन अपने सर पर बदनामी लेने जाए एक झूठ मूठ के केस
का।कहने को तो
बहुत कहेंगे कि बिहार के पुलिस वाले घूस खाते है,
मगर यह कड़वा सच हरेक जगह लागू होता चाहे वो बिहार हो या महाराष्ट्र। मगर सरकार के नाक
के नीचे हो रही इस जालसाजी को कोई न देखने वाला,
जबकि खुद हमारे जन सेवक भी इन बातों को अच्छे तरीके से जानते है।
कहने को तो आज भले
ही बिहार की यह पुलिस कह रही की मानवीय भूल है,
मगर ये मानवीय भूल हो कैसे गयी वो भी पासपोर्ट जैसे अंतराष्ट्रीय महत्व के कागजात जारी
करने में, और यह किसी भी दृष्टि से मानवीय भूल
तो लगता नहीं है, क्यूँकि हरेक साल न जाने कितने पासपोर्ट
इस थाने में आते होंगे, और न जाने उन पासपोर्ट से कितने ही
अधिकारियों का पॉकेट गरम होता होगा जिससे सारे पासपोर्ट बिना कोई खास परेशानी के जारी
हो जाते होंगे। शायद पल्लवी पुष्पम और उसके पिता जी ने यह भूल कर दी कि उन्होंने पुलिस
को कोई घूस न दी। सरकार भी तो
हमारी ऐसी ही है, जो इसे पुलिस द्वारा मानवीय भूल मानते
ही उस मामले को रफा-दफा करने में लग जाएगी। मगर शायद पल्लवी पुष्पम के लिए प्रति मानहानी
का भी जिम्मेदार है, क्यूँकि कहीं न कहीं उसे कई परेशानियों
का शिकार होना पड़ेगा जिसमें मानसिक परेशानी भी शामिल होगा। हो सकता है पल्लवी को अपने
कार्यक्षेत्र में उन्नति का भी अवसर होगा या फिर कंपनी के किसी आवश्यक कार्य के कारण
बाहर जाना होगा, मगर इन सरकारी बाबू को इससे क्या, पासपोर्ट का नाम सामने आते ही उनकी आँखों के आगे
हरे-हरे नोट जो दिख जाते होंगे।
शायद इस मानहानि का जिम्मेदार सिर्फ एक पुलिस अधिकारी
नहीं बल्कि पूरे देश में हो रहे, पासपोर्ट से संबन्धित कार्य में घूस
खा रही हमारी भारतीय पुलिस भी शामिल है।देखते है, एस॰पी॰
साहब ने तो जांच की बात कह दी, मगर यह जांच कब पूरी होगी पता नहीं, शायद इस
जांच के बहाने पल्लवी को बार-बार घर बुलाने के लिए परेशान भी किया जाए, आखिर ऐसा
होना भी संभव ही लगता है, क्यूँकि ऐसा बार-बार होने पर पल्लवी की भी मजबूरी हो
जाएगी या तो वो अपनी नौकरी छोड़ दे या फिर अपनी शिकायत वापस ले ले। और तब जा कर यह जांच
पूरी हो पाएँ।