आज कल चम्पारण के बस चालक जो रात में बस चलाते है, उन पर एक नयी तरह की खुमार छायी रहती है, यह खुमार कोई और नहीं बल्कि चम्पारण के सर्व-साधारण भाषा में सुबोध या व्यापारिक भाषा में देशी शराब की खुमार छायी रहती है। दिनांक 05 नवम्बर की ही एक घटना है जिसमे रक्सौल से चलने वाली एक प्रतिष्ठित बस सेवा सपना बस सं॰ 7213 के कर्मचारी रात में शराब पी कर बस चला रहे थे। उनपर शराब का नशा इस प्रकार छाए हुए था की उन्हें यह नहीं मालूम वो बस कैसे चला रहे। यह ज्ञात हो की रक्सौल से चलने वाली बसों पर नेपाल से आने वाले विदेशी नागरिक की संख्या वहाँ के लोकल सवारी से ज्यादा होती है।
सिर्फ इतना ही नहीं, बस का क्लच वगैरह भी काम नहीं कर रहा था। वो तो यात्रियों का भाग्य ही बलवती था जो उन्हें किसी अनहोनी से बचा कर पटना सुरक्षित पहुंचा दी, अन्यथा रास्ते में यात्रियों के साथ क्या होता वो तो भगवान ही जानता है, सिर्फ इतना ही नहीं रास्ते में परेशानी मालूम चलने के बाद शराब के नशे में धुत ड्राईवर को छोड़ बाकी सारे सहायक स्टाफ कुछ समय के लिए बस से भाग गए, वो तो निद्रा देवी की कृपा थी कि बस पर सवार यात्रियों को कुछ ना मालूम चला।
यह सब वाकया तो तब मालूम चला जब बस सुबह पटना पहुँच गयी और बस के स्टाफ आपस में ही लड़ने लगे। सिर्फ इतना ही नहीं ड्राईवर ने बाकायदा कुछ शराब के पाउच को साथ में रखा हुआ था, जो वो बस चलाने के दौरान पी भी रहा था और कुछ पाउच सुबह में बच भी गया था।
वैसे तो कहने को बस राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर चल रही थी जहाँ रास्ते में शायद ही हमारी तथाकथित प्रशासन एस तरह के घटना को रोकने के लिए तैनात हो, शायद वो भी इंतेजार करते कब एक दुर्घटना घटे और उनके पॉकेट बस के मालिक द्वारा गरम किए जा सके। मालूम नहीं हमारी कमिश्नरी प्रशासन या एन॰एच॰ए॰आई॰ की प्रशासन कब सुधरेगी जो इस तरह की ड्राईवर या बस के अन्य स्टाफ द्वारा किए जाने वाले हरकत जो यात्रियों की जान पर खेल कर चलते है, उनसे हमारी जनता को छुटकारा मिल सके। शायद इसके लिए बस मालिक भी उतने ही जिम्मेदार है जितनी हमारी प्रशासन जो इन ड्राईवर को इतना पैसा देती की वो रास्ते में पीते हुए जाते, शायद ये गैर-जिम्मेदार बस मालिक भी किसी दुर्घटना का ही इंतेजार कर रहे।
हमारे प्रशासन को चाहिए कि वो समय समय पर इन राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर निगरानी दल बना इन ड्राईवर की जांच करते रहे जिससे कि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। मगर मालूम न बिहार में वो दिन कब आएगा जब यात्री बिना कोई परेशानी या बिना कोई खतरा मोल लिए यात्रा कर सके।
सिर्फ इतना ही नहीं, बस का क्लच वगैरह भी काम नहीं कर रहा था। वो तो यात्रियों का भाग्य ही बलवती था जो उन्हें किसी अनहोनी से बचा कर पटना सुरक्षित पहुंचा दी, अन्यथा रास्ते में यात्रियों के साथ क्या होता वो तो भगवान ही जानता है, सिर्फ इतना ही नहीं रास्ते में परेशानी मालूम चलने के बाद शराब के नशे में धुत ड्राईवर को छोड़ बाकी सारे सहायक स्टाफ कुछ समय के लिए बस से भाग गए, वो तो निद्रा देवी की कृपा थी कि बस पर सवार यात्रियों को कुछ ना मालूम चला।
यह सब वाकया तो तब मालूम चला जब बस सुबह पटना पहुँच गयी और बस के स्टाफ आपस में ही लड़ने लगे। सिर्फ इतना ही नहीं ड्राईवर ने बाकायदा कुछ शराब के पाउच को साथ में रखा हुआ था, जो वो बस चलाने के दौरान पी भी रहा था और कुछ पाउच सुबह में बच भी गया था।
वैसे तो कहने को बस राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर चल रही थी जहाँ रास्ते में शायद ही हमारी तथाकथित प्रशासन एस तरह के घटना को रोकने के लिए तैनात हो, शायद वो भी इंतेजार करते कब एक दुर्घटना घटे और उनके पॉकेट बस के मालिक द्वारा गरम किए जा सके। मालूम नहीं हमारी कमिश्नरी प्रशासन या एन॰एच॰ए॰आई॰ की प्रशासन कब सुधरेगी जो इस तरह की ड्राईवर या बस के अन्य स्टाफ द्वारा किए जाने वाले हरकत जो यात्रियों की जान पर खेल कर चलते है, उनसे हमारी जनता को छुटकारा मिल सके। शायद इसके लिए बस मालिक भी उतने ही जिम्मेदार है जितनी हमारी प्रशासन जो इन ड्राईवर को इतना पैसा देती की वो रास्ते में पीते हुए जाते, शायद ये गैर-जिम्मेदार बस मालिक भी किसी दुर्घटना का ही इंतेजार कर रहे।
हमारे प्रशासन को चाहिए कि वो समय समय पर इन राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर निगरानी दल बना इन ड्राईवर की जांच करते रहे जिससे कि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। मगर मालूम न बिहार में वो दिन कब आएगा जब यात्री बिना कोई परेशानी या बिना कोई खतरा मोल लिए यात्रा कर सके।