Post: क्या एक मुद्दे से देश का भला हो सकता है???

Home
Blogs

आए दिन जब देखो राष्ट्रीय मीडिया
में सिर्फ एक ही बात दिखती है
:
आज एक घोटाले का खुलासा केजरीवालजी
करने जा रहे
, कल उस घोटाले का खुलासा केजरीवालजी करने जा रहे है|
लगता है जैसे भारत
, एक आम नागरिक का देश ना हो कर घोटाले का देश हो गया
हो
, या दुनिया के तमाम घोटालेबाज यही आ गए हो|
यह स्थिति बिहार की पुरानी स्थिति के तरह हो गयी है जिसमें बिहार का मतलब एक भ्रस्ट
या पिछड़ा हुआ राज्य माना गया
| किसी ने यह बताने की जहमत नहीं की कि बिहार को कैसे
सुधारा जाए
| शायद जब से केजरीवालजी राजनेता की श्रेणी में आए है
वो यही काम कर रहे
, जो भ्रष्टाचार तो दिखा रहे मगर आम जनता को यह नहीं
दिखा रहे की ये भ्रस्टाचार कैसे दूर हो
, उल्टा वो तो जनता को यह सलाह देते हुए दिख जाएँगे की
बिजली का बिल मत चुकाओ
| प्रतिकात्मकरूप से यह सलाह तो अच्छी लगती है,
मगर केजरीवालजी को सायद यह समझ नहीं है की यदि सारी जनता यही करने लग जाएगी तो अराजकता
का माहौल फैल सकता है
| आखिर उन्हें इसकी चिंता हो भी क्यूँ,
उन्हे तो राजनेता बनाने का शौक चर्राया हुआ है
, चाहे जैसे भी बने,
सिस्टम को खराब करके ही सही राज्य तो करेंगे
, मगर केजरीवालजी को शायद ये भी याद रखना चाहिए की घोसला
गिराना तो आसान होता है मगर बनाना बहुत ही मुश्किल
| क्या केजरीवाल जी सिस्टम को
बिगाड़कर उसे फिर तुरंत सही कर पाएंगे
? यदि हाँ तो कितने दिन में?
केजरीवालजी एक सधी हुई संस्था को सुधारना ज्यादा आसान है ना की बिगड़ी हुई संस्था को
सुधारना
| केजरीवालजी अब आप राजनैतिक पार्टी बनाने जा रहे हो,
और हरेक राजनैतिक पार्टी का एक संविधान होता
, उसकी कुछ दीर्घकालिक नीतियाँ होती है तो कुछ अल्पकालिक
नीतियाँ
| मगर आपकी नीतियाँ तो फिलहाल एक ही चीज पर टिकी हुई है जो की भ्रष्टाचार
के विरोध पर टिकी है उसको रोकने या किसी और नीतियों से कोई मतलब नहीं जैसे विदेश नीति
,
आंतरिक सुरक्षा नीति
, वित्तीय नीति और इस जैसे कई मुद्दे इस देश मे मौजूद
है
| मगर इन मुद्दों पर बहस कौन करने जाये?
जनता तो सिर्फ भ्रस्टाचार विरोधी अभियान से ही खुश होकर खुशफहमी में वोट डाल देंगे
|
बाकी का तो भगवान मालिक है
| वैसे भी आपके टीम के किसी सदस्य ने ईटीवी बिहार के
सेंट्रल हाल नामक कार्यक्रम में ओक्टूबर के महीने में इंटरव्यू दिया था की उनकी टीम
लोकतन्त्र को बदलना चाहती है
, मगर मालूम नहीं कितने जनता ने वो प्रोग्राम भी देखा
होगा
| शायद केजरीवालजी के टीम को हमारी परंपराओं पर विश्वास नहीं जिसके
फलस्वरूप वो नेता बनने-बनाने का सपना भी देखते हैं
| खैर कोई बात नहीं हम जनता
तो ठहरे ही मूर्ख
|
यहीं तक ही नहीं,
इनसे ऐसे लोग जुड़े है जो पैसे के भी भूखे है जैसे भूषण साहब को ही लिया जाए तो उनके
बारे में कौन नहीं वाकिफ है की वो कोर्ट में केस कैसे लड़ते है
|
यही तक नहीं राष्ट्रीय एकता पर तो उनकी सबसे अलग ही राय है
,
उनका वश चले तो भारत को चीन के सहूलियत के हिसाब से 32 टुकड़ो में बाँट दे
,
आखिर वो कम्यूनिस्ट जो ठहरे
| ये तो रही उनकी विदेश नीति|
अब आते है उनके आंतरिक सुरक्षा नीति की बात करने
, इनके कुछ लोगों को नक्सली
कुछ ज्यादा ही पसंद है जैसे वो इनके भाई-बहन हो
| वो देश के नाम पर कोई मारे
तो नहीं बोलते मगर एक आतंकवादी या नक्सली मारा जाय तो फिर पूछो ही मत जहां देखो वहाँ
प्रदर्शन
| शायद ये सत्ता में आते ही पहले नक्सलियों को स्वतंत्रता
सेनानी घोषित करेंगे और हमारी सेना को सामूहिक नरसंहार का दोषी
|
अब आइए इनकी वित्तीय नीति की चर्चा करे
, ये तो कहेंगे कि बिजली बिल जितना भी आए,
बिना पेमेंट उसे उपयोग करो
, और कोई अधिकारी आए तो उसका विरोध ग्रुप में करो,
जिससे वो डर जाए और वो आपका कनैक्शन ना काटे
|
खैर ये तो रही केजरीवालजी की
बात
, आइये अब मिले हम लोकतन्त्र के पांचवे खंभे से जिसे देश में मीडिया
भी बोला जाता है
| अच्छे-अच्छे लोग चाहते है कि काश उनकी फोटो मीडिया
में दिखा दी जाती
| ये मीडिया छोटे घोटालों की तो बात करती है जो केजरीवालजी
द्वारा बताए गए है
, मगर उसे कोयला घोटाला या फिर थोरीयम घोटाले से कोई
मतलब नहीं है जो देश की ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है या बन सकती है
,
क्यूंकि इस पर केजरीवालजी ने अपना मुहर जो नहीं लगाया
|
यहा तक आज-कल जिस स्विस बैंक के काले धन की बात जिसे केजरीवाल जी ने बताया
,
उसे मीडिया तो बंदर की तरह उछल कर दिखाती है
, मगर ये नहीं दिखाती इससे पहले कितने नेताओं ने यह काम
किया
, शायद केजरीवालजी या उनके सहयोगी मीडिया मैनेजमेंट में ज्यादा निपुण
है अपने प्रतियोगी की अपेक्षा
| मालूम नहीं क्यूँ ये देश की मीडिया कुछ लोगों की ही
सुनती है
, बाकी के लोग तो जैसे बेगाने है उनके|
शायद उनके नजर में भी देश की जनता/नेता का
categorization है, जिसके अनुसार वो समाचार लिखते है|
वही जिस मीडिया से अपेच्छित हो की वो पूरे भारत की खबर को लोगों तक पहुंचाएगा
,
वही वो कुछ खास खबर को ही जनता तक पहुंचा रहा है
, जैसे इस देश में घोटाले और
केजरीवालजी के सिवा कुछ है ही नहीं
| उन जहां देश की और भी सारी समस्या को उजागर करने का,खबर
को देश में पहुंचाने इत्यादि का दायित्व है
, तो वो सारी दायित्व को भूल कर सिर्फ एक ही जगह लगे
है जैसे सारा देश उसी में बसता हो
| लगता है जैसे देश की सारी समस्या का समाधान सिर्फ एक
ही जगह पेटेंट की हुई हो
|

शायद देश की बाकी समस्या को कोई सुनने वाला नहीं| क्या सही में हमें केजरीवाल
जी या मीडिया के सुझाए हुए रास्ते पर बिना सोचे समझे कदम रखनी चाहिए जिसमे आम जनता
से जुड़े सारे मुद्दे गौण हो गए हो
| लगता है हम आम जनता ही कही किसी अंध भक्ति में गौण
होते जा रहे
, और बाकी अपना उल्लू सीधा कर रहे|
क्या सही में एक मुद्दे से देश का भला हो सकता है
???

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *