Post: सुशासन बाबू हम भी बिहार में है…

Home
Blogs
19 September 2012, आज हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी हमारे जिला में आए थे| मगर नजर शायद कहीं और थी, हुंकार तो खूब भरी आपने मगर हमारी चिंता भी ना की| कहने को तो ये अधिकार यात्रा थी मगर शायद बहुत सारे अधिकारों से मुख्यमंत्री जी ने ही हमे अलग किया हुआ है|
हमारे मुख्यमंत्री जी आए तो थे चंपारण में मगर आगे के दरवाजे से नहीं पीछे के दरवाजे से, आए थे तो सरकार के नाम पर मगर एनडीए के प्रतिनिधि नहीं अपने पार्टी के प्रतिनिधि बन कर| मुख्यमंत्रीजी से तो पहले अपेक्षा यह थी की वो हवाई मार्ग से आएंगे हमें भी हेलीकाप्टर देखने को मिलेगा मगर वो इस धरती पर आए भी तो सड़क से। चलिये कोई बात नहीं, हम ये भी इनसे अपेक्षा किए थे की वो आएंगे हमारे मुख्यमार्ग से हो कर मगर वो आए पीछे के मार्ग से|
आखिर मुख्यमंत्री जी आप इस तरह से क्यूँ आए हमारे जिला में, कम से कम आपके आने से हमारे सड़क तो ठीक हो जाते जो आप लोगो की रहमो-करम का इंतेजार कर रही है| कम से कम हमारे जिला के लोग ये देख कर खुश हो जाते की चलो कुछ तो काम हुआ भले ही वो क्षणिक ही क्यूँ ना हो। मुख्यमंत्रीजी हमें आपसे ये अपेक्षा ना थी की आप मुह छिपा कर पिछले दरवाजे से आयेंगे | मुख्यमंत्रीजी कृपया कर कभी आगे का दरवाजा भी उपयोग में लाये जिससे आपको भी मालूम हो, की यहाँ के जनता को और क्या परेशानी हैं, और क्या सुधार किया जा सकता है, आपके एनडीए के सांसद हमारे लिए क्या कर रहे| कहीं हम खुद को अलग तो महसूस नहीं कर रहें|
 मुख्यमंत्री जी, हमारे बेतिया में एक हॉस्पिटल है, कहिए कम से कम आपके आने से उसकी सूरत थोड़ी तो ठीक हो गयी नहीं तो उसकी कोई पूछ लेने वाला नहीं था, मुख्यमंत्री जी ये वही हॉस्पिटल है जिसको मेडिकल कॉलेज बनाने का आप सपना भी देखे हुए है, मगर यहाँ के डॉक्टर लगता नहीं कभी आपके सपने को साकार भी होने देंगे| आखिर होने भी कैसे दे सकते है, जब भी आपको फुर्सत मिले यहाँ हॉस्पिटल के आस-पास घूम लीजिये, मरीज हॉस्पिटल में कम, प्राइवेट क्लीनिक में ज्यादा दिखते है, मालूम नहीं ये टैक्स भी पूरा भरते है या नहीं|

मुख्यमंत्रीजी, आप रमना आ कर तो चले गए, मगर शायद आप यहा की गलियों में घूमना भूल गए जिससे मालूम चले यहाँ प्रशासन बिजली के खंभो पर कौन सा खेल, खेल रहा हैं|

मुख्यमंत्री जी, आप आए थे तो चंपारण में, मगर शायद आप इसके अधिकतर इलाको को घूमना भूल गए| यहाँ एक रक्सौल जगह भी है जिसका प्रस्ताव आपने नए जिला के तौर पर रखा है| यहाँ कॉलेज तो हैं, मगर पढ़ने ओर पढ़ाने वाले नदारद|
यहाँ सड़क तो है मगर उसपर गाड़ी के चक्के की जगह बारिश का पानी नजर आता है| पत्थर की जगह यहाँ सड़क में तालाब नजर आता है|
प्रशासन की जगह सड़क पर खुले जानवर नजर आते है| मुख्यमंत्री जी, हमारे लोगों को ये जानवर भी प्रशासन की भांति ही नजर आता है, मालूम ना कब हमें सींग मार दे|

मुख्यमंत्री जी, गुस्ताखी हो गयी, हमें तो अब याद आया, आप हमारे तरफ आ भी कैसे सकते थे, आपने जिसे सड़क बनाने को बोला है, उसने तो कुछ किया ही नहीं| चलिये आपकी ये भी दलील मान लेते है की वो केंद्र सरकार की सड़क है, मगर आपके सांसद भी तो दिल्ली में बैठ कर आराम फरमा रहे है, कम से कम वो तो कुछ कर सकते है हमे इस समस्या से निजात दिलाने की जैसे बिहार के दूसरे जगहो पर हुई है|

मुख्यमंत्री जी, आप जब भी हमारे यहाँ आए आपका स्वागत है, मगर आप रेल मार्ग की तरह आए जो अपने सफर में अधिकतम जगहों को मिलाने की बात करती है| मुख्यमंत्री जी आपके सामने एक यात्रा मार्ग रखना चाहूँगा जिससे आप चंपारण के अधिकतम हिस्सो तक पाहुच सके|
मुख्यमंत्रीजी अगली बार आप जब भी आए तो पिछले दरवाजे नहीं बल्कि मुख्यमार्ग से आए| आप मुजफ्फरपुर होते हुए पिपरा होते हुए मोतीहारी में प्रवेश करे, फिर वहाँ से आप आदापुर मार्ग को पकड़े, फिर आप आदापुर होते हुए रक्सौल में प्रवेश करे| इस रक्सौल से निकालने के लिए पुनः उल्टे रास्ते ना जाए, जो आपके मुलाज़िम बताते हो|
बल्कि वहाँ से सुगौली हो कर छपवा होते हुए बेतिया जाए| फिर बेतिया से आप अरेराज मार्ग होते हुए आप चंपारण से प्रस्थान कर सकते है| आशा है आप हम चंपारणवासियों की व्यथा को समझते हुए, आप पीछे की मार्ग के बजाय आगे के मुख्यपथ से आयेंगे|
वैसे भी, पीछे के मार्ग से चोर-उच्चके ही आते है वो भी नजर बचा कर|

Road of Raxaul

Road of Raxaul

Road of Raxaul

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *